मधुमेह का अर्थ | Madhumeh Meaning in Hindi | Diabetes

मधुमेह [DIABETES MELLITUS]

मधुमेह का अर्थ


‘मधुमेह’ यानी ‘डायबिटीज मेलीटस’ एक दीर्घकालीन रोग है | डायबिटीज एक बार किसी को भी हो जाने के बाद यह जीवन पर्यन्त बना रह सकता है | फिर भी संयमित आहार-विहार से इस रोग के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है | स्मरण रहे ‘टहलना’ इस रोग की सबसे उत्तम दवा है | संतुलित भोजन और समुचित व्यायाम के साथ-साथ नियमित टहलने का अभ्यास आपके जीवन को ही बदलकर रख देगा |

֍ मधुमेह(Diabetes Mellitus) की व्युत्पत्ति [Derivation of Diabetes Mellitus] 

‘मधुमेह’ शब्द मधु और मेह दो शब्दों से मिलकर बना है जिसे अंग्रेजी में ‘डायबिटीज मेलीटस’(Diabetes Mellitus) कहा जाता है | ‘डायबिटीज मेलीटस’ शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है जिसमें ‘डायबिटीज’ का अर्थ होता है ‘सायफन’ यानी बहना(To Pass Through) और ‘मेलीटस’ का अर्थ होता है स्वीट(Honeyed) यानी मीठा | इसी प्रकार मधुमेह शब्द में मधु का अर्थ होता है मीठा यानी शक्कर(स्वीट) और मेह का अर्थ होता है मूत्र यानी पेशाब(Urine) |

व्युत्पत्ति के आधार पर यदि देखा जाय तो ‘डायबिटीज मेलीटस’ यानी ‘मधुमेह’  का सामान्य अर्थ मूत्र मार्ग से शर्करा का बहना होता  है | रक्त में शक्कर की मात्रा सामान्य रूप से रहने पर व्यक्ति को मधुमेह रोग नहीं कहा जा सकता | यदि रक्त में शक्कर की मात्रा अधिक हो गयी और मूत्र में इसके लक्षण मिलने लगे तो डायबिटीज रोग की संभावना समझी जाती है |

इसे भी अवश्य पढ़िए [It must be read]

मधुमेह रोगी को किसी भी हाल में मानसिक तनाव एवं चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि तनाव और चिंता के प्रभाव से रक्त में शर्करा का स्तर बहुत जल्दी बढ़ने लगता है जो मधुमेही को कमजोर कर देता है | अतः मधुमेही को हमेशा तनाव और चिंता से मुक्त रहना अत्यंत आवश्यक है |

֍ कैसे होता है ‘मधुमेह रोग’ [The cause of diabetes]

आवश्यकता से अधिक भोजन और उसके मुताबिक श्रम बहुत कम करने से तथा साथ में मानसिक तनाव लेते रहने से, वजन के अधिक बढ़ जाने से, कार्यालय अथवा किसी स्थान पर अधिक देर तक बैठे रहने से, अधिक देर तक सोये रहने से, कफ, पित्त, चर्बी के अधिक बढ़ जाने से शरीर का आवश्यक अंग पैंक्रियाज प्रभावित होने लगता है जिसके कारण अग्न्याशय से इन्सुलिन का कम मात्रा में उत्पादन होने लगता है | इसके परिणाम स्वरुप रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ने लगता है जो मधुमेह रोग का कारण बन जाता है | अतः अपने अनियमित जीवन शैली को बदलें और उसे नियमित करें | अपने खान-पान में नियमितता लायें | संयमित जीवन व्यतीत करें |

मधुमेह रोग होने का मुख्य कारण

  1. फास्टफूड के अधिक सेवन से, अनियमित और अनुचित खान-पान से हमारे शरीर में पैंक्रियाज जब इन्सुलिन नामक हारमोन बनाने में असमर्थ हो जाता है या बहुत कम बनाने लगता है तो मधुमेह रोग प्रभावित हो जाता है |
  2. अनुवांशिक रूप में भी मधुमेह रोग माता-पिता द्वारा हो जाता है अतः इस रोग का कारण अनुवांशिक भी है |
  3. अन्य कारणों में मधुमेह रोग होने का कारण अधिक मोटापा, शारीरिक परिश्रम का अभाव, मानसिक तनाव अधिक लेना, गुदगुदे बिस्तर पर शयन करना, आलस्य के प्रभाव में आकर किसी भी स्थान पर आराम से पड़े रहना, दिन में अधिक सोना(दिन में अधिक सोने से मोटापा बहुत तेजी से बढ़ने की सम्भावना होती है और साथ में रक्त के अशुद्ध होने से शरीर में अनेक रोग भी आने लगते हैं ), खट्टे-मीठे पदार्थों का अधिक सेवन करना मधुमेह रोग होने का कारण बताया गया है |

֍ मधुमेह रोग के लक्षण [Symptoms of Diabetes Mellitus ]

जब मूत्र मार्ग से शर्करा निकलने लगे, बार बार पेशाब आने लगे, पेशाब जिस स्थान में किया गया हो उस स्थान पर चींटी लग जाया करे, पैरों में झनझनाहट होने लगे, शरीर में आलस्य और थकान की बृद्धि हो जाए, नींद में कमी हो जाए, नेत्र की ज्योति बाधित होने लगे, प्यास की अधिक इच्छा होने लगे, पैरों में टूटन सा दर्द होने लगे तथा मूत्र सामान्य रंग से अलग गाढा एवं चिपचिपा हो जाए, सर में दर्द, मुंह से दुर्गन्ध आये, त्वचा की शुष्कता बढ़ जाए एवं चोट लगने पर घाव नहीं भरे तो ये आपके शरीर में डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं |

֍ मधुमेह की पहचान कैसे करें [How To Identify Diabetes]

मधुमेह की पहचान इसके मुख्य लक्षणों के आधार पर किया जा सकता है | उसके अलावा रक्त जांच और मूत्र जांच के माध्यम से भी इस रोग का पता लगाया जा सकता है | रक्त की जांच में बिना कुछ खाये-पीये यानी खाली पेट यदि रक्त शर्करा 80 और 120 मिलीग्राम प्रतिशत के बीच में रहता है और भोजन के दो घंटे बाद की गयी रक्त  में रक्त शर्करा 140 मिलीग्राम प्रतिशत तक रहती है तो यह समझना चाहिए कि शर्करा की सीमा सामान्य है और यदि इन दोनों स्थितियों में रक्त शर्करा की सीमा अधिक है तो मधुमेह रोग की स्थिति समझनी चाहिए |

֍ मधुमेह कितने प्रकार का होता है [Types of Diabetes]

मधुमेह मुख्यतः दो प्रकार का होता है- पहला है टाइप-1 जो इन्सुलिन पर निर्भर रहने वाला होता है(Insulin dependent diabetes mellitus) और दूसरा है  टाइप- 2 जो इन्सुलिन पर निर्भर नहीं रहने वाला होता है(Non-insulin-dependent Diabetes Mellitus)| टाइप-1 डायबिटीज के रोगी हमेशा इन्सुलिन पर ही जीवन व्यतीत करते हैं | उनका जीवन इन्सुलिन पर ही आधारित हो जाता है और यदि इन्सुलिन की कमी या इन्सुलिन नहीं दिया गया तो अनेक समस्याएं उत्पन्न होने लगती है | अभी तक ऐसा ही ज्ञात होता है कि टाइप-1 वाले मरीज जीवन भर इन्सुलिन इंजेक्शन का प्रयोग करते हैं |

किसी भी हाल में इसे न छोड़ें [Do not miss it in any case]

1.       नियमित टहलना

2.       संयमित आहार

3.       समय से सोना

4.       सही वक्त पर दवाइयां लेना

5.       यदि इन्सुलिन लेते हैं तो समय पर ही लें और फिर तुरंत निर्धारित समय में भोजन या नाश्ता कर लें

6.       सदा सकारात्मकता में जीना

7.       उषापान

8.       कम से कम दिन भर में 3 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए

9.       नियमित योगासन – आसन और प्राणायाम के साथ साथ ध्यान

10.    नियमित अपने पैरों की सफाई करने के बाद उसे अच्छी तरह से सुखाना

11.    हमेशा अपने साथ कोई मीठी वस्तु रखें और हायपोग्लाईसीमिया यानी रक्त में शक्कर कम हो जाने पर उसे शीघ्र खा लें

चिकित्सक की देख-रेख में कुछ बदलाव भी संभव है अतः उपरोक्त बातों पर यथा संभव प्रयास अवश्य करना चाहिए |

टाइप-1 के मधुमेही अक्सर बच्चे ही मिलते हैं क्योंकि ज्यादातर टाइप-1 मधुमेह बच्चों में ही पाया गया है | जब पैंक्रियाज में उपस्थित बीटा सेल्स नष्ट हो जाते हैं तो मधुमेह प्रभावित हो जाता है | बीटा सेल्स के नष्ट होने से बच्चों में गोलियों के कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता इसीलिए इन्सुलिन की आवश्यकता बच्चों को हो जाती है | बिना इन्सुलिन के केवल गोलियों के द्वारा टाइप-1 मधुमेह की इलाज संभव नहीं है | पहले बच्चों में केवल टाइप-1 मधुमेह ही पाया जाता था लेकिन वर्तमान जीवनशैली के कारण मोटापे के बढ़ने से एवं अनुचित खान-पान के वजह से बच्चों में भी टाइप-2 मधुमेह होने लगा है | बच्चों में मधुमेह हो जाने पर परिवार में अनेक उलझनों का सामना करना पड़ता है | प्रकृति की प्रतिकूलता के प्रभाव से कोई नहीं बच पाया है और जब तक हम सभी प्रकृति के अनुकूल नहीं चलेंगे तब तक आरोग्यता का स्वप्न हकीकत में नहीं बदलने वाला है |

इसे भी जानें [Also know it]
सर्वप्रथम भारत में ही डायबिटीज टाइप-1 और टाइप-2 की खोज आचार्य सुश्रुत और चरक द्वारा की गयी थी | प्राचीन आयुर्वेद के ग्रंथों में अनेक स्थानों पर मधुमेह या क्षौद्रमेह के रूप में वर्णन मिलता है |

 वातज प्रमेह के अन्दर

चरकसंहिता सुश्रुतसंहिता अष्टांगसंग्रह अष्टांगह्रदय
मधुमेह क्षौद्रमेह मधुमेह मधुमेह

 

 इसके अतिरिक्त शार्न्गधर संहिता, माधव निदानम्, योगरत्नाकर तथा भावप्रकाश मे भी मधुमेह का वर्णन मिलता है |

टाइप-2 के मधुमेही अपना जीवन औषधि और आहार से सामान्य रूप में चलाते हैं | गोलियों तथा नियंत्रित आहार से इस वर्ग के रोगी डायबिटीज को अपने नियंत्रण में रखते हैं |

֍ मधुमेह में शारीरिक स्वास्थ्य कैसे बरकरार रहे [How to maintain physical health in diabetes]

मधुमेह रोग हो जाने पर मधुमेही को हमेशा संयम से अपने जीवन को चलाना चाहिए | अपने नियमित दिनचर्या में हरे पत्तेदार साग-सब्जियों को अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए | प्रातः उठने के बाद नियम से उषापान करना चाहिए और फिर शौचादि से निवृत होकर लगभग एक घंटा कम से कम खुली हवादार स्थान पर टहलना चाहिए | पशीना निकलना टहलते समय आपके रक्त के अन्दर शर्कर यानी शुगर लेबल को नियंत्रित करता है यानी कम करता है | जितना ज्यादा भोजन सात्विक और सुपाच्य होगा मधुमेह रोग में उतना ही ज्यादा फायदा होगा | रात्रि अधिक देर तक जगे रहने वाले कब्ज रोग से ग्रसित हो जाते हैं और गैस, अपच, सर दर्द आदि होते होते मधुमेह रोगी को और परेशानी होने लगती है इसीलिए समय से सोना अत्यंत जरुरी है | वजन बढ़ने वाले पदार्थ नहीं लेना चाहिए ख़ासकर फास्टफूड, तैलीय पदार्थ, मिर्च-मसालेदार भोजन, मांस आदि | भोजन वैसा ही करें जिसके चयापचय(मेटाबोलिज्म) के बाद रक्त में शर्करा(ग्लूकोज) नियंत्रित रहे |

  • आपके शरीर की लम्बाई के आधार पर वजन होना चाहिए | यदि ऐसा नहीं है तो प्राकृतिक चिकित्सक अथवा किसी भी अनुभवी चिकित्सक की सहायता से वजन को नियंत्रित कीजिये | वजन के नियंत्रण से डायबिटीज भी नियंत्रित होने लगेगा |
  • भोजन एक बार में अधिक न खाएं बल्कि तीन-चार घंटे के अंतराल में थोड़ा-थोड़ा खाएं |
  • भूखे किसी भी हाल में न रहे और रात्रि जागरण भी किसी भी हाल में अधिक न हो इसका ध्यान रखना स्वास्थ्य के लिए उत्तम है | रात्रि जागरण से रक्तचाप बढ़ने की आशंका रहती है इसलिए समय से सोना आवश्यक है |
  • खाने में मीठा पर संयम रखना बहुत जरुरी है | ऐसा देखा जाता है कि मधुमेही के अन्दर मीठे वस्तुओं पर सहज आकर्षण बढ़ता है और कोई कोई मधुमेही चुपके से ही मीठी चींजें खा लेते हैं जो रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ा देता है | इसलिए चिकित्सक से सलाह लेकर अपने शुगर लेबल को देखते हुवे प्राकृतिक मीठे का सेवन करना चाहिए |
  • हमेशा मेडिकल जांच बीच बीच में कराते रहना चाहिए जिससे मधुमेह के प्रभाव से होने वाले अन्य रोगों जैसे किडनी, ह्रदय, नेत्र, दांत, पैंर आदि की जानकारी मिलती रहे |
  • Glucose(ग्लूकोज) के स्तर की नियमित जांच करते रहे | इससे डायबिटीज को नियंत्रित करने में आसानी होगी |
  • तनाव किसी भी हाल में न लें | हर परिस्थितों में विवेक का सहारा लेकर सकारात्मक विचार को बरकरार रखें |
  • यदि मधुमेह के कारण ह्रदय और किडनी कमजोर न हुआ हो तो शारीरिक व्यायाम और श्रम नियमित करते रहना चाहिए | इससे पैंक्रियाज में इन्सुलिन बनाने की प्रक्रिया सक्रिय होने लगती है और मधुमेह के नियंत्रण में आसानी हो जाती है |
  • दांतों की अच्छी तरह से देखभाल करते रहना चाहिए |
  • आँखों को स्वस्थ रखने के लिए नियमित यौगिक अभ्यास करना चाहिए एवं आयुर्वेदिक अथवा अन्य वैकल्पिक औषधि का प्रयोग चिकित्सक की सहायता लेकर करनी चाहिए |
  • नियमित आसन-प्राणायाम मधुमेह के साथ में यदि कोई अन्य रोग भी हो तो उसके अनुकूल जो आसन एवं प्राणायाम हो उसे करना चाहिए | केवल मधुमेह के लिए जो आसन व अन्य यौगिक विधि होता है उसे बिना अपने शरीर में अन्य रोगों की जांच किये नहीं करना चाहिए | यदि आपको डायबिटीज के साथ-साथ अन्य कोई और रोग है तो यौगिक चिकित्सक को केवल मधुमेह रोग के विषय में ही न बतलावें बल्कि अपने सभी रोगों से चिकित्सक को अवगत कराएं | इससे आपको अपने शरीर के लिए उचित आसन तथा प्राणायाम की विधि जानने में आसानी होगी |

कहीं आपको हायपोग्लाइसीमिया तो नहीं

[लो शुगर होने पर]

ध्यान दें! यदि आपको निम्नलिखित अनुभव हो रहा हो तो [Keep in mind! If you are experiencing the following]

·         यदि दिल की धड़कन अचानक बढ़ने लगे

·         पसीना आने लगे

·         घबराहट होने लगे

·         शरीर में कंपकंपी होने लगे

·         सिर दर्द की समस्या बढ़ जाए

·         जी मिचलाने लगे

·         उल्टी का भाव होने लगे

·         कमजोरी बढ़ जाने से लडखडाहट की स्थिति आ जाय

·         आँखों से अचानक कम दिखाई देने लगे

यदि आपको ऊपर दर्शाये गए लक्षण आपमें दिखने लगे तो हो सकता है कि आपको हायपोग्याइसीमिया है यानी आपके रक्त में शर्करा(ग्लूकोज) कम हो गया है |

लक्षणों के आधार पर आपको जब लगे की मेरे शरीर में शर्करा का स्तर सामान्य से कम हो गया है यानी हायपोग्याइसीमिया है तो शीघ्र मीठी वस्तु जैसे गुड़, खजूर या कोई शक्कर वाली वस्तु लेनी चाहिए | ऐसी स्थिति में मीठी चीज तुरंत खा लेने से रोग में आराम मिल जाता है |

हमेशा अपने साथ रखें

मधुमेह में आपको हमेशा अपने साथ मीठी चीजें रखनी चाहिए |

दवाइयां हमेशा अपने साथ रखें या अपने आस पास में रखें |

नंगे पाँव कभी न चलें उसके लिए हमेशा अपने पैरों में चप्पल या सुरक्षित वस्तु पहनें |

इन्सुलिन पर आश्रित रहते हों तो यात्रा के दौरान आइसबैग [ Ice bag ] में इन्सुलिन इंजेक्शन को रखें |

जिस चिकित्सक के संपर्क में आपकी चिकित्सा चल रही है उसका कांटेक्ट(संपर्क सूत्र) नंबर अवश्य रखें | खासकर जब यात्रा में बाहर जा रहे हों |

हायपोग्लाइसीमिया क्या है ?
रक्त में शक्कर की मात्रा सामान्य से कम हो जाना अथवा बहुत कम हो जाना हायपोग्लाइसीमिया कहलाता है | हायपोग्लाइसीमिया हो जाने पर सामान्य भाषा में यह समझा जाता है कि शुगर लो हो गया है |

֍ मधुमेह में स्मरण शक्ति को कैसे सुरक्षित रखा जाय

֍ मधुमेह से आई कमजोरी को दूर करने का तरीका

֍ मधुमेह और नेत्ररोग

֍ मधुमेह और कमजोरी

֍ मधुमेह और बेचैनी

֍ मधुमेह और ह्रदय रोग

֍ मधुमेह और किडनी की बीमारी

֍ मधुमेह और गैस प्रॉब्लम

֍ मधुमेह और उच्चरक्तचाप

֍ मधुमेह का निदान

֍ मधुमेह क्यों होता है

֍ मधुमेह किसे हो सकता है

 ֍ मधुमेह एवं आहार

֍ मधुमेही के लिए योग

֍ मधुमेही के लिए इन्सुलिन चिकित्सा

֍ मधुमेह रोग का पैरों पर प्रभाव

֍ मधुमेह एवं यात्रा

आयुर्वेद में मधुमेह शब्द की परिभाषा [Definition of diabetes in Ayurveda]

आयुर्वेद में मधुमेह को प्रमेह रोग के अन्दर रखा गया है | प्रमेह भी अनेक प्रकार के होते हैं | जैसे- 1. कफज प्रमेह 2. पित्तज प्रमेह 3. वातज प्रमेह |

कफज प्रमेह

     चरकसंहिता में

  • उदकमेह
  • इक्षुमेह
  • सान्द्रमेह
  • सान्द्रप्रसादमेह
  • शुक्लमेह
  • शुक्रमेह
  • शीतमेह
  • सिकतामेह
  • शनैर्मेह
  • लालामेह

पित्तज प्रमेह

चरकसंहिता में

  • क्षारमेह
  • कालमेह
  • नीलमेह
  • रक्तमेह
  • मान्जिष्ठमेह
  • हारिद्रमेह

वातज प्रमेह

     चरकसंहिता में

  • वसामेह
  • मज्जमेह
  • हस्तिमेह
  • मधुमेह

मधुमेह को आयुर्वेद में वातज प्रमेह के अन्दर रखा गया है | आयुर्वेद के अनुसार प्रमेहों की अंतिम अवस्था मधुमेह का रूप धारण कर लेती है |


मधुमेह का अर्थ, मधुमेह कैसे होता है, Madhumeh meaning in Hindi, Diabetes meaning in Hindi, What is Diabetes, Definition of Diabetes.

 

REFERENCES [ संदर्भ ]


  1. idf.org
  2. who.int
  3. worlddiabetes.org
  4. मधुमेह एक नया जीवनसाथी – डॉ. सुनील एम. जैन [ एम.डी., डी.एम(एंडोक्राइनोलोजी) ], मंजुल पब्लिशिंग हाउस, www.manjulindia.com 
  5. https://en.wikipedia.org/wiki/World_Diabetes_Day
  6. https://www.badhaai.com/2017/09/world-diabetes-day-themes-activities-posters-and-banners.html
  7. मधुमेह क्या,क्यों,कैसे…..समस्या और निदान – डॉ. बी.के.यादव [Naturopathy doctor, DNYS, ABPCP, New Delhi]

 

External Links [ बाहरी कड़ियाँ ]